डाकटर सर्वपल्ली राध।कृष्णन
शिक्षक
मात पिता के बाद यदि कोई रक्षक है
और नहीं कोई वह गुरू है शिक्षक है।
अन्तर्मन में ज्ञान पुन्ज का दीप जलाने वाला कौन
आवागमन के द्वन्द युध में जीत दिलाने वाला कौन
है कौन जो हो यदि नेत्र हीन भी पथिकों का प्रदर्शक है
और नहीं कोई वह गुरू है शिक्षक है॥
जिसके आगे हर ज्ञानी भरता पानी है
जिसके चर्णों की रज में भी रजधानी है
जिसके समक्ष तो हर राजा भी भिक्षक है
और नहीं कोई वह गुरू है शिक्षक है॥।
'नील' 0४ सितंबर २0१२
शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर
(क्ष्मा याचना : कन्वर्टर के कारण कुछ शब्द शुद्घ नही रहे हैं)
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