Sadaa Muskuraaunde Hi Raho ! [Name of my Ustaad: Dr. (Mrs.) Manu Sharma Sohal Ji]

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Saturday 27 February 2016

जर्रा (The Sand Particle)

          जर्रा

मैं वो ज़र्रा हूं जो हाथों से फ्सिल जाऊंगा
इक दफ्ह बिछड़ा तो फिर दूर निकल जाऊंगा

तेरे हाथों के निशां मुझ पे टिक पाएंगे
मैं लकीरों से ही तकदीरें बदल जाऊंगा

तू सोचता है हवाएं मेरा मुख मोड़ेंगी
मैं अकेला ही काफ्लिे में बदल जाऊंगा

मैं वो लम्हा हूं जो अब हूं अभी नहीं हूंगा
इक दफ्ह ग़ुज़रा तो तारीख़ बदल जाऊंगा

तेरा ग़ुमां था जो दर मेरा तुझे तन्ग लगा
नीलजर्रा हूं दरारों से निकल जाऊंगा

नील
94184-70707